પ્રારબ્ધને અહીંયાં ગાંઠે કોણ? - By C.M. Narendra Modi
પ્રારબ્ધને અહીંયાં ગાંઠે કોણ?
હું પડકાર ઝીલનારો માણસ છું
હું તેજ ઉછીનું લઉં નહીં
હું જાતે બળતું ફાનસ છું.
ઝળાહળાનો મોહતાજ નથી
મને મારું અજવાળું પૂરતું છે
અંધારાના વમળને કાપે
કમળ તેજતો સ્ફુરતું છે
ધુમ્મસમાં મને રસ નથી
હું ખુલ્લો અને નિખાલસ છું
પ્રારબ્ધને અહીંયાં ગાઠે કોણ?
હું પડકાર ઝીલનારો માણસ છું
કુંડળીને વળગવું ગમે નહીં
ને ગ્રહો કને શિર નમે નહીં
કાયરોની શતરંજ પર જીવ
સોગઠાબાજી રમે નહીં
હું પોતે જ મારો વંશજ છું
હું પોતે મારો વારસ છું
પ્રારબ્ધને અહીંયાં ગાંઠે કોણ?
હું પડકાર ઝીલનારો માણસ છું
-નરેન્દ્ર મોદી
Good Poem...
एक जंग हारा हूँ मैं... ये कहना हैं मेरे यारो का
नतीजे का अखबारों में, दीवारों पे इश्तेहारों का
जो मिलता हैं मिल कर अफ़सोस जता देता हैं
होंठो के पोरो में दबी कोई बात बता देता हैं
कहते हैं बहुत बुरा हुआ, जो ये मेरे साथ हुआ
खवाब सारे चलते गए, अरमान हर धुँआ हुआ
मेरे कुछ कहने से पहले ही नजरिये बन चुके हैं
मैं हार चुका हूँ सब अपने आप समझ चुके हैं
आँखों में मेरी कुछ उदासी जो झलक आई थी
जाने कितनी ही बातें मौजूद हर शख्स ने बनायीं थी
सुन उनकी बातें मैं कुछ कुछ खुद पर शुबा करने लगा
क्या सच में हार चुका हूँ इस सवाल से डरने लगा
आईने में पोशीदा अक्स दिखा तो कुछ तस्सली हुई
की उसकी नजरो में अब तक मेरी चमक थी बची हुई
उससे बातो के चंद सिलसिले फिर जो चले
छंट गई धुंध तमाम, ख्वाब सारे खोये मिले
उसने कहा की क्या हुआ एक हार जो मिली
सांसे अब भी चल रही, नहीं थमी ये जिंदगी
की मौका मिला हैं तुझे जो, कमर तू फिर से
कसकितना ही कहे ये जमाना, होना न तू टस से मस
सफ़र अभी ख़त्म नहीं, ख़त्म काम नहीं
विराम तो था.. मगर ये पूर्ण विराम नहीं
हारा नहीं तू यार मेरे, जब तक तू रहा हैं
लड़जीतने कि हैं कूबत तुझमे, अपना तू विश्वास कर
उठ... , बढ़... कि... सफ़र ये पूरा कर
गिरे भी तू अगर, तो फिर उठ... फिर आगे बढ़
13th August, 2009 1:30 PM
Friends!! Time has stopped for me today...
I have received my CA Final result. I passed in First Group of Papers but Second Group was a horror.. I just dont think, but i know that i deserved more than this... And from last few hours since i got my result, i m constantly weeping from my heart... not bcoz i failed but i failed when i gave my 100%...
Nyways, I've lost the battle but not d fight. I'll come back and that's for sure. So for next 3 months, its me, my God and the Institute.. And till then, no orkut, no chat and no calls... For me, it's a question of proving my worth to my own self..
I know all u r always there with me.. Just pray for me..
Bye...
Jai Swaminarayan
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